Iran का दावा दो Israeli जेट गिराने का, लेकिन IDF ने ठुकराया—क्या है असली सच?

हाल ही में Parwiz Hamidi नामके X उपयोगकर्ता द्वारा एक वीडियो साझा किया गया, जिसमें दावा किया गया कि ईरानी एयर डिफेंस ने दो इजरायली फाइटर जेट्स को मार गिराया और एक महिला पायलट को कैद कर लिया—जैसा कि Tasnim जैसी ईरानी मीडिया आउटलेट्स ने रिपोर्ट किया। लेकिन यह दावा हकीकत नहीं बल्कि एक भ्रामक वीडियो पर आधारित लगता है, जिसे वीडियो गेम या AI जनित बताया जा रहा है ।

इजरायल की सेना (IDF) ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। IDF के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल अविचय अड्रेई ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह “बिल्कुल निराधार” और “ईरानी मीडिया द्वारा फैलाई जा रही भ्रामक सूचना” है । बयान में यह भी कहा गया कि इजरायल ने कोई पायलट खोया नहीं है और न ही किसी जेट को नुकसान पहुंचा है।

अनुसंधान और क्रॉस-चेक करने पर यह वीडियो किसी वास्तविक युद्ध का नहीं, बल्कि एक वीडियो गेम या AI निर्मित सिमुलेशन का प्रतीत होता है। Reddit पर एक उपयोगकर्ता ने लिखा:

“No current proof”
इससे यह स्पष्ट है कि इस दावे का कोई स्वतंत्र या विश्वसनीय स्रोत मौजूद नहीं है ।

यह सब तब सामने आया जब इस्राइल और ईरान के बीच तनाव अपने चरम पर था – जिसका सिलसिला ईरालन पर किए गए “Rising Lion” एयरड्रोन के जवाब में हुआ था, जिसमें इजराइल ने 100 से अधिक उद्देश्यों को निशाना बनाया और IRGC के शीर्ष कमांडर्स की मौत हुई । इसके बाद ईरान ने मिसाइलों और ड्रोन के जरिए पलटवार किया, लेकिन इजरायली एयरस्पेस में दो जेट्स को मार गिराए जाने के आधिकारिक सबूत सामने नहीं आ पाए हैं ।

विश्लेषकों का मानना है कि यह दावा एक तरह का psychological warfare or misinformation campaign हो सकता है , जिसका मकसद घरेलू खुद-गरिमा बढाना या विदेशों में अपनी ताकत का आभास कराना हो सकता है। इजरायल ने अपनी तकनीक, विशेषज्ञता और संज्ञानात्मक क्षमता के दम पर इसे तुरंत नकार दिया और शांत माहौल बनाए रखने की कोशिश की।

ऐसा देखा गया है कि इन देशों के बीच तनाव की रिपोर्टिंग में जब वास्तविक घटनाओं की तलाश में असमर्थता महसूस होती है, तो कथित विजयों और विरोधियों को पलटने की रणनीति अपनाई जाती है। उसी क्रम में यह खबर सामने आई ,पर वास्तविकता इससे मेल नहीं खाती। वीडियो गेम ग्राफिक्स, AI-generated imagery, और viral social media posts अक्सर युद्ध की गहराई को बढ़ा दिखाते हैं, लेकिन उनका कोई ठोस आधार नहीं होता।

अमेरिकी और यूरोपीय की मीडिया ने भी इस खबर का तथ्य-जांच किया और पाया कि इस दावे की कोई पुष्ट जानकारी नहीं है, ना कोई विजुअल सबूत, ना कोई पायलट की गिरफ़्तारी का संकेत और ना किसी स्वतंत्र एजेंसी की पुष्ट रिपोर्ट।

अभी के समय में यह स्पष्ट है कि ज़रा-सा विवाद भी इस्राइल–ईरान तनाव को और बढ़ा सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मीडिया की सतर्कता ने इस फर्जी दावे को समय रहते ट्रेंड से हटाया। डि-इस्केलेशन पर इन घटनाओं की अचानक फैलती ख़बरें हावी न हों, इसके लिए पारदर्शिता और तथ्य-जाँच की आवश्यकता बनी हुई है।

Akshay Barman

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