तेल अवीव में ईरानी मिसाइल अटैक से तबाही, कई इलाके जलकर खाक

इसराइल और ईरान के बीच जारी टकराव ने 15 जून 2025 को एक नया और खतरनाक मोड़ ले लिया, जब ईरानी मिसाइलों ने तेल अवीव के आवासीय इलाकों में घातक विस्फोट किए। “Royal Intel” के X पोस्ट में शव-संरचनाओं के खंडहर और धूं-धुआं उगते हुए स्‍मारक दृश्य साझा किए गए, जिसे बीबीसी और रॉयटर्स की रिपोर्टों ने पुष्टि दी है।

तस्वीरों में दिखाई देने वाले ध्वस्त इमारतों, जलते हुए वाहनों और भगदड़ के दृश्य यह बताती है कि यह हमला सिर्फ सैन्य ठिकानों पर टार्गेट नहीं था, बल्कि जनघनत्व वाले इलाकों को भी निशाना बनाया गया था। रमत गन और रिशोन लेज़िऑन जैसे उपनगरों में कई घरों को क्षतिग्रस्त किया गया और नागरिकों में भारी उपद्रव मचा।

NPR, AP और Reuters के अनुसार इस हमले की शुरुआत उसी रात को हुई जब इसराइल ने ईरानी परमाणु स्थलों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों को निशाना बना कर “ऑपरेशन राइजिंग लायन” चलाया था, जिसमें कई बड़े वैज्ञानिक और कमांडर मारे गए। जवाबी हमले में ईरान ने बिना किसी चेतावनी या पद्वीधी के लगभग 150 मिसाइलों और ड्रोन का प्रयोग किया, जिनमें से कुछ आयरन डोम प्रणाली द्वारा रोक दिए गए, लेकिन कई मिसाइल सीधे आवासीय इलाकों में घुस गए।

आंकड़ों की माने तो इस हमले में कम से कम तीन नागरिकों की मौत हुई और दो दर्जन से अधिक घायल हुए, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित नागरिक शामिल हैं। अस्पतालों में पुगुती स्थितियों की पुष्टि की गई, रिशोन लेज़िऑन और रमत गन के अस्पतालों में सैकड़ों घायल पहुंचे, कुछ गंभीर हालत में भी थे। आईडीएफ ने कहा कि हमले में कुछ मिसाइल रक्षात्मक प्रणालियों द्वारा रोकें गए, लेकिन इमारतों और प्रशासनिक भवनों को होलरूप करने वाली रॉकेटें भी मौजूद थीं।

“दिमागी पागलपन” जैसे शब्द इस भयंकर स्थिति का वर्णन करता है – एक तरफ इलाकों का अचेनाक निशाना बनना, दूसरी तरफ जनजीवन का अचानक अस्तव्यस्त होना। न्यूयॉर्क टाइम्स की टाइमलाइन बताती है कि इस टकराव की शुरुआत तब हुई जब इसराइल ने ईरान को उसके सहयोगियों को अत्याधुनिक हथियार पहुंचाने से रोकने की नीति अपनाई – that led to an endless cycle of escalation and revenge strikes” ।

सियासी और मानवतावादी संगठनों ने गाज़ा युद्ध के सापेक्ष इस हमले की तुलना की – जबकि गाज़ा में व्यापक तबाही और सामूहिक हिंसा ने जहाँ व्यापक मानव अधिकार संकट खड़ा किया, वहीं तेल अवीव हमले में इमारतों को सीमित तौर पर क्षतिग्रस्त किया गया और जान-माल का नुकसान अपेक्षाकृत कम रहा – लेकिन यह केवल इसके पैमाने से नहीं, बल्कि जो पीड़ा और असुरक्षा इसमें छिपी है, वह समान रूप से चिंताजनक है।

इसरेली नागरिकों ने रातभर बंकरों में गुजारा किया, कई लोगों ने दैनिक जीवन एकदम शांत करने का फैसला किया और कुछ ने देश छोड़ने पर भी विचार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कार्यालय समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि अगर यह हमला जारी रहा तो इसका जवाब इसराइल अपार ताकत से देगा।

तत्काल प्रभाव तेल अवीव के आवासीय क्षेत्र पर पड़ा, जहाँ अस्पतालों में बिछड़े परिवार, घायल नागरिक और घटी हुई प्रतिबंधों की भरमार थी। लेकिन व्यापक स्थिति में देखने पर दावा किया जा सकता है कि यह केवल एक अस्थायी तीव्रता है; वैश्विक आर्थिक और ऊर्जा बाजारों में भी हलचल मची – तेल की कीमतों में उछाल आया, यात्रा और सुरक्षा सलाहों में बदलाव हुआ और क्षेत्रीय अस्थिरता का जोखिम बढ़ गया।

यदि यह टकराव और बढ़ता है, तो यह केवल आतंकवाद या सैन्य टकराव नहीं रहेगा, बल्कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था, जलवायु, मानवाधिकार, और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के मुद्दों को भी प्रभावित करेगा। अभी यह स्पष्ट है कि इसराइल-ईरान संघर्ष की यह कड़ी कहीं समाप्त नहीं होती। लेकिन मानव जीवन और नागरिक संरचना को मध्य में रखकर हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि भविष्य के कदम संयम, कूटनीति और जन सुरक्षा को केंद्र में रखेंगे।

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Akshay Barman

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