भारत में जहाँ ईव-टीज़िंग को कई बार नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, वहीं हाल ही में करोट से एक वीडियो सामने आया है जो साहस, आत्मरक्षा और सामाजिक जागरूकता की मिसाल बन गया है। वीडियो में एक युवती एक युवक को डंडे से पीटती नज़र आती है जिसने उसे सार्वजनिक स्थान पर परेशान किया था। यह वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो चुका है और बहस का मुद्दा बन गया है।
पुलिस की चुप्पी: सुरक्षा या सिर्फ मौजूदगी?
वीडियो में देखा जा सकता है कि पास में पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे, लेकिन वे निष्क्रिय बने रहे। यह भारत में क़ानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा को लेकर लंबे समय से चल रही बहस को फिर से हवा देता है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक को-ऑपरेशन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट (NIPPCID) की एक रिपोर्ट, जो दिल्ली पुलिस के लिए की गई थी, बताती है कि 82% महिलाएं जब यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं, तब वे सामान्य कपड़े पहने होती हैं — यह तथ्य यह मिथक तोड़ता है कि महिला की पोशाक उत्पीड़न की वजह होती है।
करोट: विकास और सामाजिक समस्याओं की टकराहट
करोट, जहाँ यह घटना हुई, वह केवल एक सामान्य कस्बा नहीं है। यह करोट हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के कारण अंतरराष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास का केंद्र बन चुका है। ऐसे में वहाँ इस प्रकार की सामाजिक घटनाएं दिखाती हैं कि आर्थिक प्रगति के बावजूद सामाजिक बदलाव उतनी तेज़ी से नहीं हो पा रहा है।
महिला सशक्तिकरण की मिसाल
इस युवती का साहस और प्रतिक्रिया उन लाखों महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन सकती है जो हर दिन यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं, लेकिन आवाज़ उठाने से डरती हैं। इस घटना ने यह दिखा दिया है कि महिला अगर ठान ले तो अन्याय के खिलाफ खड़ी हो सकती है।
सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया: समर्थन और सवाल
वीडियो पर नेटिज़न्स की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रही हैं। अधिकतर ने लड़की की हिम्मत की सराहना की, जबकि कुछ ने पुलिस पर नाराज़गी जाहिर की। यह घटना इस ओर इशारा करती है कि समाज अब चुप नहीं बैठना चाहता — चाहे वह सोशल मीडिया हो या सड़क।
निष्कर्ष:
करोट की यह घटना केवल एक वीडियो नहीं, बल्कि समाज की सोच में बदलाव की दस्तक है। जहाँ एक ओर देश में मेगा प्रोजेक्ट्स बन रहे हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही डंडा उठाना पड़ रहा है।
सवाल यह नहीं कि लड़की ने डंडा उठाया — सवाल यह है कि ऐसा करने की नौबत क्यों आई?
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