केदारनाथ हेलीकॉप्टर क्रैश 2025: सात की मौत, खराब मौसम और SOP में देरी पर सवाल

6:20 AM रविवार को केदारनाथ धाम से गुप्तकाशी की ओर जहाज उड़ान भरने वाला एक हेलीकॉप्टर गिर गया, जिसमें सात लोग मारे गए – इसके अन्दर पाँच तीर्थयात्री (उत्‍तराखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात से), एक बच्चा और पायलट शामिल थे। सुबह करीब 5:20 बजे त्रिजुगी नारायण और गौरीकुंड के बीच संपर्क टूट गया, और जैसे ही SDRF, NDRF और पुलिस की बचाव टीमें गहराई में पहुँच सकीं, किसी जीवित व्यक्ति का पता नहीं चला है।

उलझी हुई हिमालयी घाटी, मौसम की खराब स्थिति और सुबह कोहरा – सभी ने बचाव कार्यों में बाधा डाली है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो दिन के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं बंद कर दी हैं और एक विशेषज्ञ समिति को SOP तैयार करने का निर्देश दिया है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। अधिकारियों के अनुसार शुरुआती अनुमान बताते हैं कि हेलीकॉप्टर को पहाड़ की चट्टान से टक्कर लगी, संभवतः दृश्यता और मौसम खराब होने के कारण।

यह हादसा जून की उन घटनाओं की श्रेणी में आता है जो भारत में हवाई सुरक्षा पर प्रश्न उठाती हैं – कुछ दिन पहले ही अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 क्रैश हुई थी, जिसमें 241 लोग मारे गये। इससे स्पष्ट होता है कि हालिया हवाई दुर्घटनाएं देश में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की मांग करती हैं।

स्थान विशेष के कारण केदार घाटी और आसपास का इलाका हेलीकॉप्टर परिवहन के लिए जोखिम भरा माना जाता रहा है। पिछले वर्षों में खराब मौसम, पहाड़ी प्रदेश की ऊँचाई और तकनीकी चैलेजेज़ की वजह से कई हादसे हो चुके हैं। अक्टूबर 2022 में भी यही क्षेत्र दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जब एक हेलीकॉप्टर IC-17 उड़ान भरते समय कोहरे के कारण पहाड़ी से टकरा गया था । उस समय DGCA द्वारा सुरक्षा मानकों को लेकर fine भी लगाया गया था।

आज की त्रासदी ने फिर एक बार हेलीकॉप्टर सेवाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं। मौसम की अनिश्चितता और तकनीकी जांचों की अपर्याप्तता को नियंत्रित करने के लिए DGCA और राज्य प्रशासन को SOP और नियमित ऑडिट की दरकार दिखाई देती है। इसके अलावा, मौसम पूर्वानुमान, दृश्यता जांच और ऑपरेटर क़ानूनी जवाबदेही पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

केदारनाथ धाम को जाने वाले यात्रियों की संख्या हर वर्ष लाखों में होती है, खासकर मानसून के बाद और चारधाम यात्रा के दौरान। हेलीकॉप्टर सेवा तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन सुरक्षा के नाम पर यह सुविधा जोखिम बन सकती है यदि उचित मानक अपनाए न जाएं। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस क्षेत्र मे रेग्युलर मौसम कैमरा, बेहतर पायलट ट्रेनिंग और मौसम रोक तकनीकों की तत्काल आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री धामी ने हादसे की घटनास्थल दौरा करने के साथ आगे की योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार अब एक विशेषज्ञ समिति बनाएगी और साथ ही अगले दो दिनों तक हेलीकॉप्टर सेवाओं पर रोक लगाएगी। इन प्रयासों से उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं कम होंगी।

संक्षेप में, केदारनाथ हेलीकॉप्टर क्रैश एक नई चेतावनी है – यात्रियों की सुविधा और तीर्थयात्रा सेवा तभी सुरक्षित हो सकती है जब वहां प्रभावशाली और निरीक्षण-आधारित नीति लागू हो और मौसम, तकनीकी और मानव-कारक जोखिमों की समय पर पहचान और समाधान हो। इस दुर्घटना से सबक लेकर ही हम आगे बढ़ सकते हैं और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित कर सकते हैं।

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Akshay Barman

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