प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 जून 2025 को साइप्रस पहुंचे – यह भारत के किसी प्रधानमंत्री का साइप्रस पहले दौरा होने के बाद 23 वर्षों में पहला था। इस यात्रा का मकसद केवल औपचारिकता नहीं बल्कि गहराई और रणनीतिक महत्त्व रखता था, खासकर तब जब टर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ते गठजोड़ को ध्यान में रखा जाए।
मोदी ने तटीय लार्नाका एयरपोर्ट पर स्वागत के बाद राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइडिस के साथ एक विशेष बिजनेस राउंडटेबल लिमासोल में आयोजित किया – जहाँ बैंकिंग, फिनटेक, रक्षा, लॉजिस्टिक्स, AI/Tech, डिजिटल पेमेंट्स और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में व्यापार संभावनाओं पर चर्चा की गई । इस दौरान National Payments Corporation of India (NPCI) ने Eurobank Cyprus के साथ मिलकर साइप्रस में Unified Payments Interface (UPI) लाने का Memorandum of Understanding भी साइन किया, जो प्रवासियों और व्यवसायों के लिए डिजिटल लेन-देन को अत्यंत सरल बनाएगा।
साइप्रस भारत के लिए सिर्फ एक द्वीप नहीं, बल्कि EU के लिए प्रवेश द्वार है – यह द्विध्रुवीय चक्र (bicameral axis) में भूमिका निभा सकता है क्योंकि साइप्रस, 2026 की EU काउंसिल अध्यक्षता संभालने जा रहा है । मोदी के संज्ञान में यह भी था कि सुरक्षा सहयोग बढ़ाकर, समयपूर्व आतंकवाद-रोधी सूचना साझा करके, और समुद्री व साइबर सहयोग से भारत–साइप्रस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाया जा सके – जिसमें इकलौता टकराव क्षेत्र टर्की के बने रहने के मध्य एक सकारात्मक दृष्टिकोण दिया गया।
जियो‑पोलिटिकल संदेश स्पष्ट था। टर्की ने 1974 से साइप्रस के एक तिहाई हिस्से को कब्ज़ा करके रखा है – मोदी ने buffer zone/green line का दौरा किया, जहाँ उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत “Cyprus की संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता” का समर्थन करता है । यह कदम EU और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में टर्की के बढ़ते प्रभुत्व के खिलाफ एक भारत का संदेश था ।
मोदी ने आर्थिक सहयोग की नब्ज को भी पकड़ा: उन्होंने कहा कि Cyprus ने अब तक भारत में 15 बिलियन डॉलर का FDI लगाया है, और यह वृद्धि जारी रहेगा। साथ ही, व्यापार समझौता (India-EU FTA) इस वर्ष के अंत तक संभव है, जिससे व्यवसाय और निवेश को और गति मिलेगी ।
इसके अलावा, सुरक्षा मामलों पर मोदी और क्रिस्टोडुलाइडिस ने मिलकर आतंकवाद-विरोधी सूचना-साझाकरण की घोषणा की, और समुद्री क्षेत्र में ट्रेनिंग, फोर्स विजिट और joint search-and-rescue ऑपरेशन की रूपरेखा तैयार की।
यात्रा के समापन पर प्रधानमंत्री मोदी को “Grand Cross of the Order of Makarios III” – साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी दिया गया। इससे स्पष्ट होता है कि यह रफ़्तार सिर्फ औपचारिकता भर नहीं थी, बल्कि दोनों देशों के बीच विश्वास, साझेदारी और रणनीतिक समझ की गहराई थी।
इस दौरे ने यह संकेत दिया कि भारत–यूरोप और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में व्यापार, नई तकनीक, और सुरक्षा साझेदारी के जरिए अपनी क्षमता बढ़ा रहा है। साथ ही, यह टर्की-पाकिस्तान के गठजोड़ के बीच, भारत का एक मजबूत कूटनीतिक और सामरिक संदेश भी था।
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