Elon Musk की कंपनी Neuralink ने इंसानी दिमाग और मशीनों को जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। अब तक सात इंसानों के दिमाग में यह डिवाइस सफलतापूर्वक इंप्लांट की जा चुकी है, जिससे वे केवल सोचकर ही कंप्यूटर या अन्य डिवाइसेज़ को कंट्रोल कर पा रहे हैं। यह टेक्नोलॉजी भविष्य में न केवल शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए वरदान बन सकती है, बल्कि इंसान और मशीन के रिश्ते को पूरी तरह से बदलने वाली साबित हो सकती है।
Neuralink के डिवाइस को ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) कहा जाता है। यह डिवाइस माइक्रो-इलेक्ट्रोड्स के ज़रिए दिमाग के न्यूरॉन्स से सिग्नल लेकर उन्हें मशीन भाषा में बदल देता है। इसका मतलब ये है कि यूज़र अपने हाथ-पैर हिलाए बिना, सिर्फ सोचकर टेक्नोलॉजी को कमांड दे सकता है।
इसका सबसे बड़ा फायदा उन लोगों के लिए है जो लकवाग्रस्त हैं, रीढ़ की हड्डी की चोट से ग्रसित हैं या जिनके पास शारीरिक गति की सीमाएं हैं। अगर Neuralink का यह मिशन सफल रहता है, तो ऐसे लोग एक बार फिर से स्मार्टफोन, कंप्यूटर, व्हीलचेयर जैसी चीजों को खुद कंट्रोल कर पाएंगे।
लेकिन Neuralink की योजना सिर्फ चिकित्सा के क्षेत्र तक सीमित नहीं है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी अब Tesla के Optimus Robot के साथ एकीकरण की योजना बना रही है। इसका मतलब ये है कि भविष्य में कोई व्यक्ति अपने दिमाग से ही रोबोट को कंट्रोल कर सकेगा या दूर बैठे हुए भी रोबोट के जरिए काम कर सकेगा — जैसे किसी फैक्ट्री में इंसान रोबोट के अंदर virtually उपस्थित हो।
हालांकि, जितनी तेज़ी से यह तकनीक आगे बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से इसपर सवाल भी उठ रहे हैं। खासतौर पर Neuralink की animal testing को लेकर। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी ने कई बार बंदरों और अन्य जानवरों पर टेस्ट किए हैं जिनमें कुछ गंभीर adverse effects सामने आए। यह मामला अब जांच के दायरे में भी आ चुका है।
टेक्नोलॉजी की दुनिया में यह बहस लगातार बढ़ रही है कि क्या इंसानी उन्नति के नाम पर जानवरों पर इस तरह की कठिन प्रयोग किए जाने चाहिए? क्या हम एक ऐसी टेक्नोलॉजी की तरफ बढ़ रहे हैं जो नैतिकता से समझौता कर रही है?
Neuralink का दावा है कि वह FDA (अमेरिकन दवा एवं उपकरण नियामक संस्था) की गाइडलाइन के अनुसार ही काम कर रही है और उनका उद्देश्य केवल मानवता की भलाई है। लेकिन फिर भी, इन सभी बातों के बीच एक बड़ा सवाल यही है — क्या हम तकनीकी चमत्कारों की दौड़ में नैतिकता को भूलते जा रहे हैं?
जो बात सबसे ज्यादा रोमांचक है, वह यह है कि भविष्य में इंसान और मशीन की सीमाएं धुंधली होती जा रही हैं। Neuralink जैसे प्रोजेक्ट्स यह साबित कर रहे हैं कि आने वाले समय में “सोच” ही सबसे बड़ा इंटरफेस बन सकता है।