ऑपरेशन मिडनाइट हैमर अमेरिका की सैन्य रणनीति का एक गुप्त और चौंकाने वाला उदाहरण है, जिसे ईरान के परमाणु ठिकानों को निष्क्रिय करने के उद्देश्य से अंजाम दिया गया। यह मिशन अचानक सामने आया जब @Osint613 ने X पर इससे जुड़ी जानकारियां साझा कीं। इस ऑपरेशन में अमेरिका ने अपनी सबसे उन्नत तकनीक – B-2 Spirit स्टेल्थ बमवर्षक और टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइलों का इस्तेमाल किया। इस पूरी कार्रवाई को इस तरह से डिजाइन किया गया कि ईरान को इसकी भनक तक न लगे। मिशन के दौरान संचार न्यूनतम रखा गया ताकि ऑपरेशन की गोपनीयता बनी रहे और दुश्मन को कोई संकेत न मिले।
B-2 Spirit विमानों की खासियत यह है कि ये रडार से बचने में सक्षम हैं और बहुत ऊंचाई से लक्ष्य पर सटीक बमबारी कर सकते हैं। इन्हीं विमानों ने प्रमुख परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। साथ ही, लंबी दूरी की टॉमहॉक मिसाइलों का प्रयोग कर अमेरिका ने अपने दुश्मन पर दूर से हमला कर उसे चौंका दिया। इन हमलों की एक और बड़ी खासियत यह थी कि अमेरिका ने किसी भी नागरिक ठिकाने को प्रभावित नहीं किया। यह ऑपरेशन केवल सैन्य और परमाणु ठिकानों को निष्क्रिय करने के लिए तैयार किया गया था।
इस ऑपरेशन में रणनीतिक धोखे का भी प्रयोग किया गया। अमेरिका ने कुछ अलग क्षेत्रों में सैन्य गतिविधियों का भ्रम फैलाया ताकि असली ऑपरेशन पर कोई ध्यान न जाए। इससे ईरान की सुरक्षा एजेंसियां भ्रमित रहीं और जब तक ऑपरेशन शुरू हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इस घटना के बाद क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है। हालांकि, ईरान की तरफ से कोई औपचारिक बयान अब तक नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि यह हमला उसके न्यूक्लियर प्रोग्राम के लिए एक बड़ा झटका है।
यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य हमला नहीं था, बल्कि एक बड़ा भूराजनीतिक संदेश भी है। अमेरिका ने ये दिखा दिया कि वो अब केवल बैठकर तमाशा नहीं देखेगा, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर सटीक और नियंत्रित हस्तक्षेप करेगा। यह संदेश न केवल ईरान को बल्कि रूस, चीन और बाकी वैश्विक ताकतों को भी है। अमेरिका की यह कार्रवाई उसकी सैन्य दक्षता और रणनीतिक योजना का प्रमाण है।
“ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” से ये स्पष्ट हो गया है कि आधुनिक युद्ध अब सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि तकनीक, डेटा और चुपचाप की गई प्लानिंग से लड़े जा रहे हैं। इसमें ना सिर्फ फिजिकल पावर का उपयोग हुआ, बल्कि डिजिटल चुप्पी और साइबर लेवल पर भी चालें चली गईं। अब इस ऑपरेशन के और भी डिटेल सामने आ सकते हैं, लेकिन इतना साफ है कि इससे आने वाले समय में वैश्विक राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।