सर्जरी का भविष्य! अमेरिका में पहली बार रोबोट ने किया हार्ट ट्रांसप्लांट

अमेरिका के टेक्सास राज्य में मार्च 2025 में चिकित्सा विज्ञान के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा जब पहली बार एक व्यक्ति का दिल प्रत्यारोपण पूरी तरह रोबोट की मदद से किया गया। इस अत्याधुनिक प्रक्रिया को बैलर सेंट ल्यूक मेडिकल सेंटर, ह्यूस्टन में अंजाम दिया गया। यह ऑपरेशन इतना अनोखा और सफल था क्योंकि इसमें न तो सीने को चीरना पड़ा, न ही हड्डियों को काटा गया। यह पारंपरिक हार्ट ट्रांसप्लांट से बिल्कुल अलग था और चिकित्सा जगत में “मिनिमली इनवेसिव” सर्जरी का सबसे बड़ा उदाहरण बन गया।

45 वर्षीय टोनी रोसालेस इबार्रा, जो लुफ्किन, टेक्सास के निवासी हैं, लंबे समय से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे। उनकी हालत इतनी गंभीर थी कि बिना ट्रांसप्लांट के वह जिंदा नहीं रह सकते थे। लेकिन पारंपरिक ऑपरेशन में खतरे और लंबी रिकवरी को देखकर डॉक्टरों ने नई तकनीक अपनाने का निर्णय लिया। इस प्रक्रिया में पेट के ऊपर कुछ छोटे चीरे लगाए गए और वहां से रोबोटिक आर्म्स और एक 3D कैमरा शरीर के अंदर पहुंचाया गया।

इस रोबोटिक सिस्टम ने डॉक्टरों की सहायता से पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया, वह भी बहुत ही सटीकता और सुरक्षा के साथ। चूंकि सीना नहीं काटा गया, इसलिए न तो खून बहा, न ही संक्रमण का खतरा था, और न ही लंबी अस्पताल में रहने की जरूरत पड़ी। टोनी ने जून 2025 तक दौड़ना और जिम जाना भी शुरू कर दिया, जो इस ऑपरेशन की सफलता का बड़ा संकेत है।

यह उपलब्धि एक बड़ी श्रृंखला का हिस्सा है जहां रोबोटिक सर्जरी तेज़ी से चिकित्सा का चेहरा बदल रही है। जुपिटर मेडिकल सेंटर, फ्लोरिडा जैसे संस्थानों ने पहले ही 2010 से अब तक 10,000 से अधिक रोबोटिक सर्जरी की हैं। रोबोट्स की सहायता से की गई सर्जरी में डॉक्टर दूर बैठकर स्क्रीन पर देख सकते हैं और बेहद बारीकी से अंदरूनी अंगों की स्थिति समझकर सटीक ऑपरेशन कर सकते हैं।

इससे पहले, 1969 में पहली बार डॉ. डेंटन कूली ने इसी अस्पताल में दुनिया का पहला आर्टिफिशियल हार्ट ट्रांसप्लांट किया था। और अब 2025 में उसी जगह पर पूरी रोबोटिक हार्ट सर्जरी ने इतिहास दोहराया है। यह सफलता पुनर्जनन चिकित्सा (regenerative medicine), रोबोटिक्स और AI आधारित सर्जरी की संयुक्त शक्ति को दिखाती है। पीटर डायमंडिस के Abundance360 जैसे मंचों पर भी इस दिशा में चल रहे शोधों को लेकर बातें होती रही हैं।

हालांकि, कुछ चुनौतियां अब भी हैं। रोबोटिक सर्जरी की लागत बहुत अधिक होती है और इसे करने के लिए डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा, अभी तक दीर्घकालिक परिणामों के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं है, जिससे यह सवाल भी उठता है कि क्या इसे सभी अस्पतालों में लागू किया जा सकता है या नहीं।

इसके बावजूद, इस ऐतिहासिक ऑपरेशन ने यह सिद्ध कर दिया कि तकनीक के सही उपयोग से चिकित्सा क्षेत्र में असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। आने वाले वर्षों में इस तरह की रोबोटिक तकनीकें न सिर्फ हार्ट ट्रांसप्लांट बल्कि लीवर, किडनी और यहां तक कि ब्रेन सर्जरी में भी क्रांति ला सकती हैं। भारत समेत कई देश भी अब इस दिशा में निवेश और शोध बढ़ा रहे हैं।

यह तकनीक न केवल जीवन बचाने का नया तरीका है, बल्कि यह सर्जरी को तेज़, सुरक्षित और दर्दरहित बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। टोनी की तरह कई मरीज अब उम्मीद से देख रहे हैं कि कब यह सुविधा उनके शहर और देश में भी उपलब्ध होगी।

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Akshay Barman

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