क्या रोबोट खुद को बना सकते हैं? ROKAE के ह्यूमेनॉइड रोबोट ने कर दिखाया कमाल

ह्यूमेनॉइड रोबोट्स का इस्तेमाल अब सिर्फ प्रयोगशालाओं या प्रदर्शनों तक सीमित नहीं रहा। हाल ही में @CyberRobooo के X पोस्ट में दिखाया गया एक रोबोट खुद अपने जोड़ (joints) को असेंबल करता हुआ नजर आया, जो अपने-आप में एक ऐतिहासिक और आश्चर्यजनक तकनीकी उपलब्धि मानी जा रही है। माना जा रहा है कि यह रोबोट बीजिंग स्थित कंपनी ROKAE Robotics का हिस्सा है, जो इंडस्ट्रियल और कोलैबोरेटिव रोबोट बनाने के लिए जानी जाती है।

इस वीडियो ने तकनीकी जगत में एक नई बहस को जन्म दिया है: क्या अब वो समय आ गया है जब रोबोट खुद को बना सकेंगे? यह सवाल जितना रोमांचक है, उतना ही गंभीर भी, क्योंकि इससे जुड़ा है John von Neumann का एक पुराना सिद्धांत – Universal Constructor, यानी ऐसा सिस्टम जो खुद को कॉपी कर सके।

John von Neumann ने 1940 के दशक में एक ऐसी मशीन का सिद्धांत पेश किया था जो खुद की ही एक कॉपी बना सके – यानी Self-replicating machine। तब यह सिर्फ थ्योरी था, लेकिन अब @CyberRobooo की पोस्ट में दिखाया गया दृश्य इस थ्योरी को हकीकत में बदलता हुआ दिखाई दे रहा है।

ROKAE का यह ह्यूमेनॉइड रोबोट न सिर्फ सटीक मूवमेंट करता है, बल्कि अपने बॉडी पार्ट्स को असेंबल करने की जटिल प्रक्रिया को भी अंजाम देता है। इसे देखकर साफ कहा जा सकता है कि रोबोट अब केवल प्रोग्राम फॉलो करने वाले यंत्र नहीं रहे, बल्कि वे स्वतंत्र सोच, निर्णय और एक्शन के स्तर पर पहुंच रहे हैं।

AI और Robotics के क्षेत्र में हाल ही में कई बड़े बदलाव आए हैं। Autonomous Robots अब ऐसी क्षमता हासिल कर रहे हैं जिसमें वे इंसानों की मदद के बिना ही नेविगेशन, टास्क एक्सीक्यूशन, और सेंसर फ्यूजन का इस्तेमाल करके खुद काम कर सकते हैं। Wikipedia के मुताबिक, आधुनिक रोबोट्स अब इतने एडवांस्ड हो गए हैं कि वे मल्टीपल सेंसर (जैसे कैमरा, LIDAR, प्रोसेसर और मोटर कंट्रोल यूनिट) का समन्वय करके अपने वातावरण को समझ और उस पर प्रतिक्रिया कर सकते हैं।

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ROKAE Robotics इससे पहले भी अपने ह्यूमेनॉइड्स जैसे Helios और Human.X के लिए चर्चा में रही है। लेकिन यह नया वीडियो दिखाता है कि वे अब self-assembly और low-human-intervention वाले डिजाइन की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं। यह बदलाव मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में एक नई क्रांति ला सकता है – जहाँ फैक्ट्रीज में मशीनें खुद को बना रही होंगी, इंसानों की जरूरत कम हो जाएगी और लागत व समय दोनों में भारी कमी आएगी।

भविष्य की कल्पना करें जहां रोबोट्स खुद फैक्ट्रियों में अपनी यूनिट्स असेंबल कर रहे हों, खुद के जैसे और रोबोट बना रहे हों – यह सिर्फ साइंस फिक्शन नहीं रहेगा, बल्कि हकीकत में बदलता दिख रहा है। हालांकि इस रास्ते में अभी तकनीकी, नीतिगत और सुरक्षा से जुड़ी कई चुनौतियां भी हैं।

लेकिन अगर तकनीक इसी गति से आगे बढ़ती रही, तो Self-Replicating Robots का युग बहुत दूर नहीं है।

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Akshay Barman

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