सीट 11A का “चमत्कार”: कैसे दो विमान हादसों में सिर्फ यही सीट बचा पाई लोगों को?

Air India की फ्लाइट AI‑171 का 12 जून 2025 को अहमदाबाद से टेकऑफ़ के कुछ ही समय बाद क्रैश हो जाने पर कुल 241 लोग मारे गए, लेकिन सिर्फ एक व्यक्ति बचा — वो था बर्थिश‑भारतीय विस्वास कुमार रमेश, जो सीट 11A पर बैठे थे । यह वही सीट थी जो 1998 में Thai Airways Flight TG261 क्रैश में बचने वाले गायक Ruangsak Loychusak ने भी ली थी, जब उस हादसे में 101 लोग मारे गए । यह सामंजस्य केवल संयोग ही नहीं हो सकता, बल्कि एक रोचक सांख्यिकीय पैटर्न का संकेत देता है।

शोध बताते हैं कि plane crash में जान बचने की संभावना कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें सीट की लोकेशन, निकटतम इमरजेंसी एग्जिट तक पहुंच और संरचनात्मक संरक्षा शामिल हैं। NTSB और एयरलाइन सुरक्षा अध्ययन बताते हैं कि exit row के आस-पास की सीटों पर बैठने वाले यात्रियों की बचने की दर लगभग 38% अधिक होती है । कारण यह है कि ये सीटें आमतौर पर अधिक मजबूत संरचना से घिरी होती हैं और evacuate करने के लिए आसानी से पहुँची जा सकती हैं।

11A जैसी सीट आमतौर पर एक emergency exit के बिल्कुल पास होती है। Air India क्रैश में रमेश ने बताया कि दौड़ते हुए उन्होंने सबसे पहले इस exit के दरवाज़े की ओर ध्यान दिया, जकड़ा गया सीट बेल्ट तुरंत खोला और लंबे से इमरजेंसी स्लाइड की मदद से निकल आए थे । विख्यात New York Times ने भी बताया कि सीट 11A wing box के करीब थी, एक मजबूत संरचनात्मक क्षेत्र जिससे तेज़ impact में भी बचाव संभव हो रहा था ।

इससे पहले 1998 में Thair Airways Flight TG261 के निष्कर्षों से पता चला कि Ruangsak Loychusak ने भी अपने आप को सीट 11A की संरक्षित जगह में पाए जाने की वजह से बचाया था । हालांकि उस हादसे का मूल कारण पायलट error था, जिससे Airbus A310 स्टॉल हो गया, लेकिन exit proximity ने उस समय भी जान बचाई।

ये दो घटनाएँ साफ़ तौर पर दिखाती हैं कि सीट लोकेशन सांयोगिक एक प्रेरक कहानी या मिथक से आगे है—जब सुरक्षा डिजाइन, संरचनात्मक ताकत और exit proximity जैसी वैज्ञानिक विश्लेषण एक साथ हों, तो “चमत्कार” दरअसल वैज्ञानिक सच्चाई बन जाती है।

विश्लेषकों ने बताया कि असाधारण क्रैश जैसे यह — अलग-अलग कारणों से पूरी तरह ध्वस्त हो जाना — में over 95% यात्रियों की जान बचना असंभव होता है । लेकिन सीट 11A जैसी जगह पर बैठकर रमेश ने वह किया जो बहुत कम लोग कर पाते हैं—safe zone में जाकर exit लेना और स्थिति के आनुवंशिक रुझान के मुक़ाबले वक्त पर निर्णायक आवेदन।

इसका मतलब यह नहीं है कि सिर्फ सीट ही सब कुछ तय करती है। aircraft design, seat construction standards (जैसे FAA द्वारा निर्धारित static load factors), evacuation protocols और यात्रियों का calm response भी बेहद इम्पोर्टेंट होते हैं । फिर भी—सीट 11A का यह पुनरावृत्ति वाकई हैरान कर देने वाला है।

विज्ञान कहता है कि ऐसे क्रैश में कोई पैटर्न देखना पागलपन हो सकता है। लेकिन जब यह पैटर्न एक ऐसी सीट पर दो बार सटीक बैठता है, तो Statistical Anomaly की जगह फिर चर्चा शुरू होती है। इससे एक संभावित future research topic उठता है—क्या exit rows को redesign करके और exit seat की structural strength बढ़ा कर यात्रियों की survival chances और भी बढ़ाए जा सकते हैं?

अभी प्रारंभिक रिपोर्ट्स से ब्लैक बॉक्स की तलाशी जारी है, जिससे पता चलेगा कि टेकऑफ़ के तुरंत बाद क्रैश की वजह क्या थी। लेकिन सुरक्षित बच निकलने वाला सिर्फ एक यात्री—जिन्होंने Ruangsak Loychusak के सात बैठे थे—ने एक नए scientific सवाल को जन्म दे दिया है, जो plane safety design और public आस्था दोनों के बीच एक दिलचस्प पुल तैयार कर रहा है।

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Akshay Barman

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