अगर आपको इनकम टैक्स विभाग से एक नोटिस आया है जिसमें लिखा है कि आपके केस की कार्यवाही Section 144B के तहत की जा रही है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। यह सेक्शन फेसलेस असेसमेंट से संबंधित है, जिसे आयकर विभाग ने पारदर्शिता, निष्पक्षता और भ्रष्टाचार-मुक्त टैक्स प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए लागू किया है। Section 144B की प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल है, यानी इसमें आपको किसी टैक्स ऑफिसर से आमने-सामने मिलने की जरूरत नहीं होती। सारा संवाद केवल ईमेल और आयकर पोर्टल के जरिए होता है।
इसका उद्देश्य टैक्सपेयर्स और टैक्स ऑफिसर्स के बीच सीधा संपर्क खत्म करना है, जिससे पक्षपात, रिश्वत और दबाव जैसी समस्याओं से बचा जा सके। फेसलेस असेसमेंट के तहत आपका केस एक सेंट्रल नेशनल फेसलेस असेसमेंट सेंटर (NaFAC) को सौंपा जाता है, जो इसे जांच के लिए विभिन्न यूनिट्स जैसे असेसमेंट यूनिट, वेरिफिकेशन यूनिट, टेक्निकल यूनिट और रिव्यू यूनिट को भेजता है। यह सभी टीमें एक-दूसरे से डिजिटल माध्यम से ही संपर्क करती हैं और आपकी फाइल पर काम करती हैं।
धारा 144B के तहत यदि आपके केस में कोई गड़बड़ी या विसंगति पाई जाती है, तो विभाग आपको नोटिस भेजता है और जवाब देने का अवसर देता है। आमतौर पर नोटिस में कहा जाता है कि आपने जो ITR दाखिल किया है उसमें कुछ मिसमैच या जानकारी अधूरी है, इसलिए आपसे शो कॉज़ नोटिस (Show Cause Notice) के तहत जवाब मांगा जाता है। आपको 7 से 15 दिनों के अंदर ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अपना उत्तर देना होता है।
इस प्रक्रिया की एक खास बात यह है कि यह पूरी तरह टाइम-बाउंड है। यानी NaFAC और अन्य यूनिट्स को भी एक तय समय सीमा में कार्यवाही करनी होती है और फैसला देना होता है। इसी तरह टैक्सपेयर्स को भी जवाब देने के लिए निर्धारित समय सीमा में प्रतिक्रिया देनी होती है। अगर आप समय पर जवाब नहीं देते या दस्तावेज़ अधूरे रहते हैं, तो विभाग “बेस्ट जजमेंट असेसमेंट” कर सकता है और अनुमान के आधार पर टैक्स फिक्स कर सकता है।
Section 144B में यह भी प्रावधान है कि अगर किसी कारणवश आपको वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए अपनी बात रखने की आवश्यकता हो, तो आप विभाग से यह सुविधा मांग सकते हैं। इसके लिए आपको एक ऑनलाइन रिक्वेस्ट फॉर्म भरना होता है और कारण स्पष्ट करना होता है। अगर विभाग मानता है कि यह उचित है, तो आपको वीडियो मीटिंग का अवसर दिया जाता है।
इस कानून के तहत टैक्सपेयर्स को पूरा अधिकार है कि वह सभी दस्तावेज़ इलेक्ट्रॉनिक रूप से पोर्टल पर अपलोड करें, और हर उत्तर ई-प्रतिक्रिया (e-Response) के माध्यम से दें। हर नोटिस और उत्तर का Acknowledgment Number और ई-ट्रैकिंग सिस्टम होता है जिससे पारदर्शिता बनी रहती है।
Section 144B की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें आकलनकर्ता अधिकारी (Assessing Officer) का नाम, पहचान या लोकेशन आपको कभी नहीं बताया जाता। इससे कोई व्यक्ति विशेष प्रभाव में आकर निर्णय नहीं ले सकता। इससे टैक्सपेयर्स को निष्पक्ष सुनवाई का भरोसा मिलता है।
यह सेक्शन पहली बार 2020 में लागू किया गया था और इसे बाद में 2021 और 2022 में संशोधित कर और सशक्त बनाया गया। अब 2025 में यह प्रणाली पूरी तरह से भारत भर में लागू हो चुकी है और सभी बड़े टैक्स मामलों का असेसमेंट इसी प्रणाली के तहत किया जाता है।
यदि आप कोई व्यवसाय करते हैं या आपकी इनकम ₹10 लाख से अधिक है, और आपको कोई ऐसा नोटिस मिला है जिसमें Section 144B का उल्लेख है, तो आपको बेहद सतर्क और पारदर्शी होकर जवाब देना चाहिए। अगर आपको टैक्स की जानकारी नहीं है, तो किसी रजिस्टर्ड टैक्स कंसल्टेंट या CA की मदद लें, ताकि कोई गलती न हो और पेनल्टी से बचा जा सके।
ध्यान रहे, अगर आपने आय छिपाई है या किसी संपत्ति की जानकारी नहीं दी है, तो फेसलेस असेसमेंट में वह बात पकड़ ली जाती है क्योंकि विभाग AIS, TIS, 26AS और बैंकिंग डेटा से क्रॉस-वेरिफाई करता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपनी सारी इनकम, निवेश, जमीन-जायदाद, शेयर ट्रांजैक्शन और लोन डिटेल्स ईमानदारी से ITR में भरें।
Section 144B भारतीय टैक्स सिस्टम को आधुनिक और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल टैक्स चुकाने वालों को सुरक्षा और पारदर्शिता देता है, बल्कि विभाग को भी हाई क्वालिटी असेसमेंट करने में मदद करता है। अब समय आ गया है कि टैक्सपेयर्स इस नए सिस्टम को समझें, और डरने की बजाय डिजिटल ज्ञान और दस्तावेजों के साथ इसका सामना करें।
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Section 144B क्या है?
यह Income Tax Act की धारा है जो फेसलेस असेसमेंट प्रक्रिया से जुड़ी है, जहां सारा टैक्स मूल्यांकन ऑनलाइन होता है।
फेसलेस असेसमेंट में नोटिस कैसे आता है?
आयकर पोर्टल पर e-Proceedings सेक्शन में नोटिस आता है और आपको ईमेल व SMS से सूचना दी जाती है।
क्या Section 144B के तहत ऑफलाइन सुनवाई हो सकती है?
नहीं, लेकिन आप जरूरत पड़ने पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की रिक्वेस्ट कर सकते हैं।
अगर समय पर जवाब नहीं दें तो क्या होगा?
विभाग अनुमान के आधार पर टैक्स फिक्स कर सकता है और पेनल्टी भी लग सकती है।
इस प्रक्रिया में कितना समय लगता है?
सामान्यतः 30 से 60 दिनों के भीतर पूरा आकलन किया जाता है।