वित्त वर्ष 2025 में इनकम टैक्स एक्ट में एक नया सेक्शन जोड़ा गया है – Section 194JB। यह नया प्रावधान भारत सरकार द्वारा डिजिटल इकॉनॉमी को रेग्युलेट करने और टैक्स चोरी को रोकने के उद्देश्य से लागू किया गया है। Section 194JB एक TDS (Tax Deducted at Source) संबंधित धारा है, जो खासतौर पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, ऐप्स, डिजिटल सर्विस और कुछ नए वर्गों में होने वाले भुगतान पर लागू होती है।
सरकार ने यह बदलाव ऐसे समय में लाया है जब हजारों लोग फ्रीलांसिंग, ऐप बेस्ड सेवाओं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, डिजिटल टूल्स और AI-जनरेटेड सेवाओं से इनकम कर रहे हैं। अब तक इन डिजिटल पेमेंट्स पर TDS की कोई स्पष्ट धारा नहीं थी, लेकिन Section 194JB के जरिए सरकार ने यह साफ कर दिया है कि कुछ विशेष ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर भी अब TDS लागू होगा।
धारा 194JB के तहत, अगर कोई व्यक्ति या संस्था किसी डिजिटल प्लेटफॉर्म से ₹10,000 या उससे अधिक की वार्षिक कमाई करता है, तो उस कमाई पर 5% TDS काटा जाएगा। यह नियम उन सर्विसेज पर लागू होता है जो तकनीकी, कंसल्टेंसी, डिज़िटल डिज़ाइन, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, कोडिंग, डिजिटल मार्केटिंग, ग्राफिक्स, वॉइस ओवर, या ऑनलाइन कंटेंट डिलीवरी से जुड़ी हैं। यानी अगर आप Fiverr, Upwork, YouTube, Instagram, या किसी SaaS प्लेटफॉर्म से पैसा कमा रहे हैं, तो आपकी आय पर 194JB के अंतर्गत TDS कट सकता है।
इसका सीधा असर छोटे फ्रीलांसरों, क्रिएटर्स और ऑनलाइन प्रोफेशनल्स पर पड़ सकता है। अब उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि जो भी पेमेंट उन्हें क्लाइंट या प्लेटफॉर्म से मिल रही है, उसमें से TDS काटा जा सकता है और वह राशि उन्हें कम मिलेगी। हां, वे यह TDS अपनी ITR में क्लेम करके रिफंड के लिए आवेदन कर सकते हैं।
यह TDS क्लाइंट्स या कंपनियों द्वारा काटा जाएगा। उदाहरण के लिए, अगर किसी स्टार्टअप ने एक फ्रीलांसर से वेबसाइट बनवाई और उसे ₹50,000 का पेमेंट करना है, तो कंपनी को 5% यानी ₹2,500 TDS के रूप में काटकर बाकी ₹47,500 का भुगतान करना होगा। और वह TDS का ब्यौरा आयकर पोर्टल पर फॉर्म 26AS में दिखेगा।
सरकार का उद्देश्य इससे न केवल टैक्स कलेक्शन बढ़ाना है, बल्कि डिजिटल कमाई को भी रिकॉर्ड में लाना है। क्योंकि अब तक लाखों लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से इनकम करते रहे हैं लेकिन उसका सही ब्यौरा नहीं देते थे। अब जैसे ही कोई क्लाइंट या ऐप TDS काटेगा, उसकी सूचना सीधे आयकर विभाग को मिल जाएगी और अगर आप उस इनकम को ITR में नहीं दिखाएंगे तो नोटिस मिलना तय है।
धारा 194JB की यह खास बात है कि यह “पेमेंट आधारित ट्रिगर” पर आधारित है। यानी यह मायने नहीं रखता कि आपकी कुल इनकम कितनी है, बल्कि यह देखा जाता है कि किसी एक स्रोत से साल में ₹10,000 से ज्यादा मिला या नहीं। अगर मिला, तो वह स्रोत TDS काटेगा, चाहे आपकी कुल इनकम टैक्स स्लैब में न आती हो।
यह नियम उन प्लेटफॉर्म्स पर भी लागू हो सकता है जो भारत में ऑपरेट कर रहे हैं लेकिन उनकी मूल कंपनी विदेश में है। यानी Amazon, YouTube, Meta, Fiverr जैसे इंटरनेशनल ब्रांड्स पर भी यह लागू होता है अगर वे भारत में पेमेंट प्रोसेस करते हैं। इसलिए अगर आप ऐसे किसी प्लेटफॉर्म से इनकम कर रहे हैं तो आपको यह जानना जरूरी है कि आपका TDS कहां और कैसे कट रहा है।
अब सवाल आता है कि अगर आप पहले ही GST रजिस्टर्ड हैं और आपने PAN से फॉर्म 15G या 15H सबमिट कर दिया है तो क्या आप TDS से बच सकते हैं? जवाब है – आंशिक रूप से हां। लेकिन 194JB में यह प्रावधान है कि अगर कंपनी या प्लेटफॉर्म को ऐसा कोई वैध सर्टिफिकेट नहीं मिलता है, तो वह TDS काटने को बाध्य होता है।
कई मामलों में देखा गया है कि क्लाइंट्स खुद को Section 194C (contract work) या Section 194J (professional services) के अंतर्गत TDS काटने की बात कहते हैं, लेकिन 2025 से अब डिजिटल स्पेस में अलग से 194JB लागू किया गया है ताकि इन पेमेंट्स की सही कैटेगरी बन सके। यानी अब डिजिटल प्लेटफॉर्म से आने वाली आय पर dedicated टैक्स कोड लागू हो चुका है।
फेसलेस असेसमेंट और AIS के दौर में अब यह TDS भी आपके AIS में दिखेगा। अगर आपने आय ली और उस पर TDS कटा लेकिन ITR में जानकारी नहीं दी, तो आपको नोटिस मिल सकता है और जुर्माना भी लग सकता है। इसी वजह से अब डिजिटल युग में टैक्स नॉलेज और फाइनेंशियल रिकॉर्ड मेनटेन करना हर क्रिएटर के लिए अनिवार्य हो गया है।
अगर आप डिजिटल प्लेटफॉर्म से पैसे कमा रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप:
- समय पर ITR फाइल करें,
- सभी पेमेंट्स का लेखा-जोखा रखें,
- PAN अपडेट रखें,
- और TDS डिटेल्स की सही एंट्री करें।
इससे न सिर्फ आपको कानूनी सुरक्षा मिलेगी, बल्कि भविष्य में लोन, क्रेडिट स्कोर और वित्तीय अवसरों में भी मदद होगी। Section 194JB आने वाले सालों में डिजिटल भारत के टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव लाने वाला है और सभी ऑनलाइन कमाई करने वालों को इसकी जानकारी रखना बेहद जरूरी है।
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Section 194JB क्या है?
यह Income Tax की नई धारा है जो डिजिटल सर्विस आधारित भुगतान पर TDS काटने से जुड़ी है।
194JB के तहत TDS किस पर लगता है?
डिजिटल सेवाएं जैसे ग्राफिक डिजाइन, मार्केटिंग, कोडिंग, कंटेंट क्रिएशन, ऐप सर्विसेज आदि पर अगर ₹10,000 से ज्यादा पेमेंट होता है।
194JB में TDS की दर क्या है?
TDS दर सामान्यतः 5% है, लेकिन PAN न होने या अन्य स्थिति में यह अधिक हो सकती है।
क्या फ्रीलांसर को भी 194JB के तहत TDS कटेगा?
हां, अगर वह डिजिटल प्लेटफॉर्म या क्लाइंट से ₹10,000 से ज्यादा कमाता है।
क्या यह TDS ITR में क्लेम किया जा सकता है?
जी हां, आप TDS क्लेम करके रिफंड पा सकते हैं या अपने टैक्स लायबिलिटी से एडजस्ट कर सकते हैं।