आयकर अधिनियम की धारा 194R एक ऐसा प्रावधान है जिसे सरकार ने 1 जुलाई 2022 से लागू किया है, और इसका असर हर उस व्यक्ति या कंपनी पर पड़ता है जो किसी दूसरे व्यक्ति को गिफ्ट, लाभ या फ्री सर्विस के रूप में कोई फायदा देती है। यानी अब अगर आपने किसी डॉक्टर को मोबाइल गिफ्ट किया, किसी सेल्स एजेंट को विदेश ट्रिप दी, किसी इन्फ्लुएंसर को फ्री प्रोडक्ट भेजा या किसी डीलर को गोल्ड कॉइन दिया – तो उस पर 10% TDS काटना अनिवार्य होगा।
यह धारा खासतौर पर उन व्यावसायिक फायदे (perquisites) को कवर करती है जिन्हें फ्री में दिया जाता है लेकिन जिनका वैल्यू कैश के बराबर होता है। सरकार ने देखा कि कंपनियां अक्सर ब्रांड प्रमोशन, सेल्स बूस्ट या लॉयल्टी प्रोग्राम के तहत करोड़ों रुपए के गिफ्ट्स, ट्रिप्स और रिवॉर्ड बांटती हैं, लेकिन इन पर कोई टैक्स नहीं लगता था। इसलिए अब 194R के तहत इन्हें टैक्स के दायरे में लाया गया है।
इस नियम के तहत जिस भी व्यक्ति को ऐसा कोई फायदा दिया जा रहा है, उसके बदले में देने वाली कंपनी को 10% TDS काटना होगा, भले ही वह फायदा नकद में हो या वस्तु के रूप में। अगर गिफ्ट की कीमत ₹20,000 से अधिक है, तो TDS लगेगा। यह गिफ्ट या लाभ किसी भी रूप में हो सकता है – कैश, कार, ट्रिप, मोबाइल फोन, लैपटॉप, होटल स्टे, टिकट, वाउचर या फ्री सर्विस।
एक उदाहरण से समझें – अगर कोई फार्मा कंपनी किसी डॉक्टर को ₹50,000 की इंटरनेशनल ट्रिप देती है ताकि वह उनके ब्रांड को प्रमोट करे, तो कंपनी को उस ₹50,000 का 10% यानी ₹5,000 TDS के रूप में काटकर सरकार को जमा करना होगा। यही नियम इन्फ्लुएंसर्स पर भी लागू होता है। अगर कोई मोबाइल कंपनी किसी यूट्यूबर को ₹1 लाख का फोन देती है और वह उसे रख लेता है और प्रमोट करता है, तो कंपनी को ₹10,000 TDS काटना होगा।
Section 194R सिर्फ उन लाभों पर लागू होता है जो किसी व्यक्ति को उसके व्यापार या पेशे से संबंधित कार्य के लिए दिए जाते हैं। यानी यह सिर्फ बिज़नेस ट्रांजैक्शन पर लागू होता है, पर्सनल गिफ्ट्स पर नहीं। उदाहरण के लिए, अगर आपने अपने दोस्त को शादी में गिफ्ट दिया, तो उस पर यह धारा लागू नहीं होती। लेकिन अगर आपने एक सेल्समैन को उसका टारगेट पूरा करने पर बाइक दी है, तो उस पर TDS लगेगा।
सरकार ने इस धारा के तहत यह भी साफ किया है कि भले ही रिसीवर की आय पर TDS लागू नहीं होता, देने वाली संस्था को यह TDS काटना जरूरी है। और अगर फायदा नकद में नहीं बल्कि वस्तु या सेवा के रूप में दिया गया है, तो उस पर TDS देने के लिए या तो रिसीवर से पैसा लिया जाएगा या कंपनी खुद अपनी जेब से TDS जमा करेगी और उसे खर्च के रूप में दिखाएगी।
धारा 194R का पालन न करने पर आयकर विभाग सख्त कार्रवाई कर सकता है। ऐसा कोई भी ट्रांजैक्शन, जो AIS या TIS रिपोर्ट में सामने आता है और जिस पर TDS नहीं काटा गया, तो कंपनी पर पेनल्टी लग सकती है। इसलिए हर ब्रांड, एजेंसी, सेल्स चैनल या प्रमोशन से जुड़ी संस्था को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि हर गिफ्ट पर टैक्स कटे और रिपोर्ट किया जाए।
सरल शब्दों में कहें तो Section 194R का उद्देश्य हर उस गिफ्ट, रिवार्ड या फ्री सर्विस को टैक्स के दायरे में लाना है, जो व्यापारिक संबंधों के तहत दिया जाता है। इसका असर सबसे ज्यादा मार्केटिंग, फार्मा, बीमा, डीलर नेटवर्क, एजेंसी और इन्फ्लुएंसर इंडस्ट्री पर पड़ेगा।
अगर आप कोई फ्री गिफ्ट पाने वाले हैं, तो यह जरूरी है कि आप जान लें कि उस पर 10% TDS कटेगा, और वह आपके AIS रिपोर्ट में दिखेगा। अगर आप खुद उसे क्लेम नहीं करते, तो आपकी टैक्स लायबिलिटी बढ़ सकती है। इसलिए हर टैक्सपेयर्स को अब इन गिफ्ट्स या लाभों की वैल्यू को पहचान कर, सही समय पर उसका इनकम डिक्लेयर करना चाहिए।
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Section 194R क्या है?
यह आयकर की धारा है जिसके तहत गिफ्ट, रिवॉर्ड या अन्य फायदे पर 10% TDS काटना अनिवार्य होता है।
क्या 194R पर्सनल गिफ्ट पर लागू होता है?
नहीं, यह सिर्फ बिज़नेस या प्रोफेशन से संबंधित गिफ्ट या फायदे पर लागू होता है।
194R के तहत TDS कौन काटेगा?
लाभ देने वाला व्यक्ति या कंपनी, यानी जो गिफ्ट दे रहा है।
194R की लिमिट कितनी है?
सालाना ₹20,000 से अधिक के गिफ्ट या लाभ पर यह नियम लागू होता है।
क्या TDS रिसीवर को भरना होता है?
नहीं, यह देने वाली संस्था काटती है, लेकिन रिसीवर को यह इनकम डिक्लेयर करनी होती है।