साउथ कोरिया में एक ऐसा Starbucks मौजूद है जो आज की नहीं बल्कि आने वाले कल की तस्वीर पेश करता है। यह Starbucks कहीं आम जगह पर नहीं बल्कि NAVER 1784 नाम की बिल्डिंग में स्थित है, जो एक एडवांस्ड रोबोटिक्स टेस्टबेड है। यहां 100 से ज्यादा रोबोट्स “Rookie” नाम से काम कर रहे हैं, जो पूरी तरह से ऑटोनॉमस यानी खुद से सोचकर और चलकर ग्राहकों को कॉफी डिलीवर करते हैं। यह सीन किसी साइंस फिक्शन मूवी जैसा लगता है, लेकिन यह पूरी तरह से सच्चाई है।
NAVER 1784 का नाम भी बहुत सोच-समझकर रखा गया है। यह साल 1784 को दर्शाता है, जब पहली इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन हुई थी और उसी बिल्डिंग का प्लॉट नंबर भी है। इस बिल्डिंग में सिर्फ एक कॉफी शॉप ही नहीं, बल्कि एक पूरा टेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर है, जहां नए-नए AI और रोबोटिक्स प्रोजेक्ट्स पर काम हो रहा है।
Starbucks के इस खास वर्जन में जो सबसे बड़ा बदलाव है, वह यह है कि यहां इंसानों की जगह रोबोट्स आपकी ऑर्डर को किचन से उठाकर सीधे आपकी टेबल तक लाते हैं। ये “Rookie” रोबोट्स रास्ते में आने वाली रुकावटों को पहचानते हैं, लोगों से टकराए बिना चलते हैं और बिलकुल समय पर ऑर्डर पहुंचाते हैं। इसके लिए वो लेजर स्कैनिंग, कैमरा सेंसर और AI नेविगेशन सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं।
यह सिस्टम केवल delivery तक सीमित नहीं है। NAVER ने Ambidex नाम का एक ड्यूल-आर्म रोबोट भी टेस्ट किया है, जो इंसानों की तरह दोनों हाथों से काम कर सकता है। इससे वह जटिल टास्क को आसानी से कर सकता है, जैसे मशीन को ऑपरेट करना, सफाई करना या सर्विस देना। यह तकनीक आने वाले समय में केवल कैफे या रेस्टोरेंट तक ही नहीं, बल्कि हॉस्पिटल, ऑफिस और घरों तक पहुंचेगी।
इस पूरी व्यवस्था से यह साफ होता है कि NAVER जैसी टेक कंपनियां केवल AI और रोबोट बनाकर छोड़ नहीं रही हैं, बल्कि उन्हें असली दुनिया में लागू करने के तरीके भी खोज रही हैं। NAVER 1784 में क्लाउड सर्विस, डाटा सेंटर, और स्मार्ट बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम भी है, जो हर टेक्नोलॉजी को एक साथ जोड़ता है।
ऐसे सिस्टम से इंसानों की efficiency तो बढ़ती ही है, लेकिन सवाल ये भी उठता है कि क्या इससे नौकरियां जाएंगी? टेक एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये टेक्नोलॉजी इंसानों के काम को आसान बनाएगी, उन्हें repetitive tasks से मुक्त करेगी, ताकि वो ज्यादा क्रिएटिव और सोचने वाले कामों पर ध्यान दे सकें। यानी इंसान और रोबोट साथ मिलकर काम करेंगे।
इस Starbucks ने एक बड़ी मिसाल पेश की है कि कैसे सर्विस इंडस्ट्री में भी रोबोटिक्स और AI को इंटिग्रेट किया जा सकता है। इसने न केवल ग्राहकों का अनुभव बेहतर किया है, बल्कि दुनिया को यह भी दिखाया है कि तकनीक का सही इस्तेमाल कैसे किया जाए।
NAVER 1784 का यह Starbucks पूरी दुनिया के लिए एक मॉडल बन सकता है। आने वाले समय में जब हम भारत या किसी और देश में भी इस तरह के स्मार्ट कैफे देखेंगे, तो शायद यह याद रहेगा कि इसकी शुरुआत साउथ कोरिया के एक स्मार्ट बिल्डिंग से हुई थी, जहां कॉफी बनाने और परोसने का काम इंसान नहीं, बल्कि रोबोट कर रहे थे।
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