टेनिस कोर्ट पर जब एक लड़की भागती थी, तो लगता था जैसे कोई कविता हवा में दौड़ रही हो और वो लड़की थी – स्टेफी ग्राफ[Steffi Graf]।
आज जब हम टेनिस के महान खिलाड़ियों की बात करते हैं, तो अक्सर नाम आते हैं – सेरेना विलियम्स, रोजर फेडरर, राफेल नडाल या नोवाक जोकोविच। लेकिन क्या आपने कभी उस खिलाड़ी के बारे में सुना है जिसने एक ही साल में चारों ग्रैंड स्लैम और ओलंपिक गोल्ड जीतकर ‘Golden Slam‘ हासिल किया? जी हां, वो कोई और नहीं, स्टेफी ग्राफ थीं। ये कारनामा उन्होंने 1988 में किया था। आज तक महिला टेनिस में यह उपलब्धि कोई और नहीं दोहरा सका – ना सेरेना, ना मार्टिना, ना हिंगिस।
स्टेफी का खेल उतना ज़्यादा flashy या ताकतवर नहीं था जितना आज की खिलाड़ियों का होता है, लेकिन उसमें एक शुद्धता थी, एक खामोशी, और एक फोकस जो शायद आज की दुनिया में कम ही देखने को मिलता है। वो ज्यादा बोलती नहीं थीं, बस खेलती थीं – और जब खेलती थीं, तो उनके रैकेट से निकलती हर बॉल एक संदेश देती थी: “मैं यहाँ जीतने आई हूँ, चिल्लाने नहीं।”
उनका टेनिस सिर्फ जीतने का तरीका नहीं था, बल्कि एक कला थी। उनकी फोरहैंड इतनी तेज़ और सटीक होती थी कि कई बार विरोधी खिलाड़ी उसे सिर्फ निहारते रह जाते थे। और उनका मूवमेंट – ऐसा लगता था जैसे कोर्ट उनके कदमों के नीचे बह रहा हो।
स्टेफी ग्राफ ने अपने करियर में 22 ग्रैंड स्लैम खिताब जीते। सेरेना विलियम्स ने उनसे एक ज़्यादा यानी 23 जीते हैं, लेकिन कई विशेषज्ञ मानते हैं कि ग्राफ की उपलब्धियाँ ज्यादा कठिन और प्रभावशाली थीं। International Tennis Federation के रिकॉर्ड बताते हैं कि सेरेना जहां एक समय में दो-तीन प्रमुख खिलाड़ियों से लड़ती थीं, वहीं स्टेफी को हर टूर्नामेंट में नए-नए खतरनाक नामों से जूझना पड़ता था – मार्टिना नवरातिलोवा, मोनिका सेलेस, गेब्रिएला सबातिनी जैसे दिग्गजों से।
स्टेफी ग्राफ का करियर सिर्फ ट्रॉफियों की गिनती नहीं है। वो एक समर्पण की कहानी है, एक संघर्ष की कहानी है, और सबसे बड़ी बात – एक सादगी की कहानी है। जब उन्होंने 1999 में टेनिस को अलविदा कहा, तब भी कोई बड़ा farewell शो नहीं किया। कोई इंस्टाग्राम पोस्ट नहीं, कोई भावुक भाषण नहीं। बस शांति से चली गईं – जैसे कोई महान कलाकार अपना आखिरी ब्रश स्ट्रोक लगाकर चुपचाप कैनवस से हट जाता है।
आज की दुनिया में जहां हर खिलाड़ी कैमरों के सामने अपनी कहानियाँ खुद सुनाता है, स्टेफी ग्राफ की कहानी हमें याद दिलाती है कि असली Greatness को चिल्लाने की ज़रूरत नहीं होती। वो खुद ही बोलती है, अपने खेल से।
और हाँ, जब अगली बार आप किसी से ये सुनें कि सेरेना ही महिला टेनिस की सबसे महान खिलाड़ी हैं, तो एक बार स्टेफी ग्राफ का नाम ज़रूर याद कर लीजिएगा। क्योंकि कुछ महानताएं शोर में नहीं, खामोशी में जन्म लेती हैं।
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