यूक्रेन का “Operation Spiders Web”: रूस की धरती पर 2000 किलोमीटर दूर तक किया गया हमला

रूस-यूक्रेन युद्ध में एक नई और बेहद साहसी घटना सामने आई है, जिसे “Operation Spiders Web” नाम दिया गया है। इस ऑपरेशन के अंतर्गत यूक्रेन ने रूस की गहराई में स्थित मुरमान्स्क क्षेत्र के सैन्य ठिकानों पर ड्रोन हमले किए हैं। ये हमला इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि यह स्थान यूक्रेन की सीमा से लगभग 2000 किलोमीटर दूर है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले में रूस के 40 तक सैन्य विमानों को नुकसान पहुंचाया गया है, हालांकि इन दावों की पुष्टि स्वतंत्र रूप से नहीं हुई है।

इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी बात यह है कि यह यूक्रेन की अब तक की सबसे लंबी दूरी की सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है। रूस के सुदूर उत्तर-पश्चिम में स्थित सेवरोमोर्स्क के एयरबेस को निशाना बनाना इस बात को दर्शाता है कि यूक्रेन की ड्रोन क्षमता अब सिर्फ सीमावर्ती क्षेत्रों तक सीमित नहीं रही। यह हमला एक गहरी रणनीति और विस्तृत योजना का नतीजा बताया जा रहा है, जिसे लगभग 18 महीनों तक तैयार किया गया था। ड्रोन ट्रकों से निकलकर टारगेट पर पहुंचते हैं, यह दिखाता है कि इस ऑपरेशन में लॉजिस्टिक्स और कोऑर्डिनेशन का बेहतरीन तालमेल था।

रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस स्तर की गहराई में जाकर हमला करना एक गंभीर संकेत है। इससे पहले यूक्रेन ने मुख्य रूप से क्रीमिया और डोनबास के इलाकों में हमले किए थे, लेकिन मुरमान्स्क जैसी रणनीतिक जगह पर जाकर बम गिराना यह साबित करता है कि यूक्रेनी सेना अब सिर्फ डिफेंसिव नहीं, बल्कि ऑफेंसिव सोच के साथ युद्ध में उतर चुकी है।

यह हमला ऐसे समय हुआ है जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम वार्ता की संभावना जताई जा रही थी। ऐसे में इस ऑपरेशन से कूटनीतिक प्रयासों पर असर पड़ सकता है। रूस की प्रतिक्रिया अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह तय है कि इतनी बड़ी क्षति के बाद मास्को इसका जवाब ज़रूर देगा। मुरमान्स्क का सैन्य महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यहां रूस के रणनीतिक बमवर्षक विमान और नौसेना के बेस स्थित हैं। यदि यहां वास्तविक नुकसान हुआ है तो यह रूस के लिए बड़ी सैन्य और मनोवैज्ञानिक क्षति मानी जाएगी।

Operation Spiders Web को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि युद्ध के नए चरण की शुरुआत है। अब युद्ध सीमाओं से बाहर निकल कर दूरस्थ ठिकानों पर केंद्रित होता दिख रहा है, जहां तकनीक और रणनीति का मेल निर्णायक भूमिका निभा रहा है।

इस ऑपरेशन ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि ड्रोन और AI आधारित युद्ध तकनीक अब पारंपरिक युद्ध शैली को पीछे छोड़ रही है। इससे आने वाले समय में युद्ध के तौर-तरीकों में व्यापक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। और साथ ही, यह घटनाक्रम यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या दुनिया एक और बड़े युद्ध की ओर बढ़ रही है या अब भी कूटनीति के रास्ते शांति की कोई उम्मीद बाकी है।

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Akshay Barman

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