“अमेरिकी एयर फ़ोर्स टैंकर बढ़ी संख्या में यूरोप पहुंच रहे हैं – क्या शांत तैयारी या बड़े ऑपरेशन की शुरुआत?”

पिछले कुछ दिनों में अमेरिकी एयर फ़ोर्स के एयर-रिफ्यूलिंग टैंकर हवाई जहाजों की यूरोप की ओर बड़ी संख्या में तैनाती देखी गई है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि कोई बड़ी सैन्य गतिविधि या रणनीतिक तैनाती हो रही है। इस पर X (पहले ट्विटर) पर Mario Nawfal ने पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने यूरोप की ओर बढ़ते अमेरिकी टैंकर विमानों की तस्वीर साझा की, जिसे देख कर कई लोग हैरान रह गए।

राजनीतिक विश्लेषकों और सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि ये संवेदनशील कार्य केवल किसी बड़े युद्ध की तैयारी नहीं, बल्कि NATO द्वारा पहले से आयोजित बड़े युद्धाभ्यास जैसे ‘Steadfast Defender 2024’ या ‘Defender 25’ से जुड़ा होना संभव है। इस तरह की तैनाती यह दिखाती है कि अमेरिका और उसके सहयोगी तैयार हैं, खासकर रूस और मध्य पूर्व के तनाव से संबंधित खतरों के बीच।

रेडियोलॉजिस्ट मोर्चा यह संकेत दे रहे हैं कि KC-135 और KC-46 जैसे कई एयर-रिफ्यूलिंग विमानों को पूर्व की ओर भेजा गया है। Reuters की ताजा रिपोर्ट में बताया गया कि रविवार शाम लगभग 31 एयर-रिफ्यूलिंग विमानों ने यूएस से उड़ान भरी और निकट भविष्य में यूरोप पहुंचने की संभावना है।

ये टैंकर लड़ाकू विमानों की उड़ान क्षमता बढ़ाने और उन्हें लंबी अवधि तक मिशन पर रखने की जिम्मेदारी निभाते हैं। किसी भी विवाद के समय उनके बिना अप्रभावी ऑपरेशन संभव नहीं हो पाते। इस वजह से, टैंकरों की अचानक बड़ी संख्या में तैनाती को ‘स्ट्रैटेजिक पावर प्रोजेक्शन’ का संकेत माना जा रहा है।

विशेष रूप से, मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव – खासकर इज़राइल और ईरान के बीच के हालिया टकराव – को देखते हुए इस स्थिति को महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। Reuters के सूत्रों के अनुसार यह तैयारी इज़राइल की “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के जवाब में की जा रही तैनाती का हिस्सा हो सकती है, जिससे युद्ध विमानों को भारी दूरी में काम में लाने में मदद मिलेगी।

लेकिन अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इस कार्रवाई को आक्रामक नहीं बल्कि “रक्षात्मक” माना जाना चाहिए। एक अधिकारी ने कहा कि इसका उद्देश्य अमेरिका को विकल्प देना है, न कि लड़ाई शुरू करना। हालाँकि पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने इज़राइल-ईरान बयान को सीमित रखा – यह दर्शाता है कि अमेरिका स्थिति में सक्रिय भागीदारी से बचना चाहता है।

टैंकर तैनाती की संख्या से वित्तीय प्रभाव भी दिख रहा है – इस बीच ब्रेंट क्रूड और ग्लोबल मार्केट में तेल की कीमतों में तेज उछाल देखा गया है, और JPMorgan ने चेताया भी है कि यदि स्थिति बिगड़ी, तो कच्चे तेल की कीमतें $120 प्रति बैरल से अधिक हो सकती हैं।

टैंकर विमानों की तैनाती और बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास अभ्यास स्पष्ट संकेत है कि अमेरिका और NATO वैश्विक अस्थिरता के बीच वास्तविक समय में तैयार रहना चाहते हैं। चाहे यह रूस से उत्पन्न खतरा हो या मध्य पूर्व में मुक्त हुई अग्निजंग, यह रणनीतिक कदम पूर्वदर्शिता और सक्षम प्रतिक्रिया का प्रतीक है।

संक्षेप में यह बदलाव दर्शाता है कि अमेरिका ने अपनी एयर पावर को चुस्त-दुरुस्त करने का निर्णय लिया है और यह दुनिया को बताने के लिए कह रहा है कि वह सजग है। समय ही बताएगा कि यह सिर्फ एक चेतावनी ही थी, या इससे बढ़कर तैयारी का संकेत।

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Akshay Barman

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