XSTO Mobility नाम की कंपनी ने हाल ही में एक ऐसी बायोनिक लेग तकनीक पेश की है जिसने तकनीकी दुनिया में नई क्रांति ला दी है। WevolverApp द्वारा शेयर की गई एक X पोस्ट में एक वीडियो दिखाया गया, जिसमें एक बायपेड रोबोट (यानि दो पैरों वाला) अलग-अलग सतहों पर बिना किसी मदद के चल रहा है। यह सिर्फ एक रोबोटिक प्रयोग नहीं, बल्कि आने वाले समय में लाखों लोगों की ज़िंदगी को बेहतर बनाने वाला कदम है।
XSTO Mobility पहले से ही इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर, पावर चेयर और सीढ़ी चढ़ने वाली व्हीलचेयर जैसी कई इनोवेटिव डिवाइस बनाकर चर्चा में रही है। अब कंपनी बायोनिक लेग तकनीक के ज़रिए मेडिकल और हेल्थ सेक्टर में कदम रख रही है। यह तकनीक खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होगी जो चलने-फिरने में असमर्थ हैं, जैसे कि जिनका पैर कट चुका है या जो पक्षाघात से ग्रसित हैं।
बायोनिक लेग एक ऐसी रोबोटिक तकनीक है जो इंसानी पैर की तरह काम करती है। यह पैरों के हर मूवमेंट को कॉपी करके व्यक्ति को चलने में मदद देती है। इसकी सबसे खास बात है कि यह AI (Artificial Intelligence) और सेंसर की मदद से अपने आप वातावरण के हिसाब से खुद को एडजस्ट कर लेती है। चाहे रास्ता समतल हो या ऊबड़-खाबड़, यह बायोनिक लेग रोबोट को और भविष्य में इंसानों को भी स्थिरता और बैलेंस के साथ चलने में मदद कर सकती है।
Nature Medicine में छपे एक रिसर्च पेपर — “Continuous neural control of a bionic limb restores biomimetic gait after amputation” – में बताया गया कि कैसे न्यूरल कंट्रोल और बायोनिक तकनीक मिलकर इंसान के प्राकृतिक चाल को फिर से वापस ला सकती है। यानी, अगर किसी का एक पैर कट गया है, तो बायोनिक लेग उसकी चाल को पहले जैसा बना सकती है।
XSTO की यह तकनीक न केवल रोबोटिक्स के क्षेत्र में, बल्कि मेडिकल साइंस और फिजिकल थेरेपी के क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव ला सकती है। अभी के लिए इसका उपयोग बायपेड रोबोट्स के लिए किया जा रहा है ताकि वे बिना किसी इंसानी हस्तक्षेप के जटिल रास्तों पर चल सकें। लेकिन आने वाले समय में यही तकनीक प्रोस्थेटिक्स (कृत्रिम अंग) के लिए इंसानों पर भी इस्तेमाल की जा सकती है।
बायोनिक लेग का उपयोग विशेष रूप से उन मरीजों के लिए किया जाएगा जो किसी दुर्घटना या बीमारी के कारण अपने पैरों की कार्यक्षमता खो चुके हैं। ऐसे में यह तकनीक उन्हें फिर से सामान्य जीवन जीने में मदद करेगी। इसकी कीमत शुरू में ज़रूर अधिक होगी, लेकिन जैसे-जैसे इसका उत्पादन बढ़ेगा, यह आम लोगों की पहुंच में भी आ जाएगी।
XSTO Mobility के इस इनोवेशन से एक बात साफ है कि भविष्य का हेल्थकेयर और रोबोटिक्स अब साथ मिलकर काम करेंगे। जहां पहले व्हीलचेयर तक ही सीमित सुविधा थी, अब बायोनिक लेग जैसे डिवाइसेज मरीजों को दोबारा चलने का आत्मविश्वास देंगे।
सरकारें और हेल्थकेयर संस्थान भी ऐसी तकनीकों को अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं। भविष्य में भारत जैसे देशों में भी यह तकनीक पहुंच सके, इसके लिए सरकार और प्राइवेट सेक्टर को साथ आकर इनोवेशन को प्रमोट करना होगा।
इस पूरी तकनीक की सबसे खास बात यही है कि यह तकनीक सिर्फ एक मेडिकल डिवाइस नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर एक मजबूत कदम है – जिसमें इंसान फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है।
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